मनकामेश्वर मन्दिर का स्थान
प्रयागराज के पाँच प्रमुख तीर्थों में से एक है।
मनकामेश्वर मन्दिर का निर्माण इसके प्राचीन इतिहास से जुड़ा हुआ है। यह मन्दिर भगवान शिव के लिए समर्पित है और इसका नाम "मनकामेश्वर" भगवान शिव के एक नाम से लिया गया है। इस मन्दिर का निर्माण 1583 ईस्वी में महाराज विक्रमादित्य ने करवाया था। इस मन्दिर के भीतर एक महान स्तंभ होता है, जो मंदिर के विस्तृत क्षेत्र का अंग है। इस स्तंभ का उच्चतम बिंदु 72 फीट है और इसे इंगित करता है कि इस मन्दिर का इतिहास कितना प्राचीन है।
मनकामेश्वर मन्दिर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में प्रयागराज शहर में स्थित है। यह हिंदू धर्म का एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है जो शिव भगवान के लिए समर्पित है। इस मन्दिर का नाम मनकामेश्वर भगवान से लिया गया है, जिन्हें इस स्थान पर पूजा जाता है।
मनकामेश्वर मन्दिर का इतिहास बहुत पुराना है और इसे महाभारत काल से जोड़ा जाता है। इस मन्दिर के इतिहास में बहुत से महापुरुष भी शामिल हैं, जिन्होंने इस मन्दिर के विकास और संरक्षण में बहुत योगदान दिया है।
मनकामेश्वर मन्दिर का विशेषता उसकी स्थानीयता है। इस मन्दिर का स्थान प्रयागराज के पाँच प्रमुख तीर्थों में से एक है। यहाँ पर हर साल माघ मेला आयोजित किया जाता है, जो हिंदू धर्म के लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है।
इसके अलावा, मनकामेश्वर मन्दिर का शैली और वास्तुकला भी बहुत खूबसूरत है। इस मन्दिर का निर्माण ग्रंथों में लिखा गया है कि महाभारत काल में हुआ था। इस मन्दिर में तीन मुख्य संगम होते हैं जिन्हें प्रत्येक शिवलिंग के साथ जोड़ा जाता है।
इस मन्दिर के बाहर भी एक खूबसूरत वातावरण है। मनकामेश्वर मन्दिर के पास गंगा नदी है जिसे देखकर अत्यंत शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक अनुभव मिलता है। इसके अलावा, मन्दिर के चारों तरफ वृक्षों की बहुत सारी वनस्पतियाँ हैं जो इसे एक शानदार वातावरण देती हैं।
इसके अलावा, इस मन्दिर में भगवान शिव के साथ-साथ भगवान गणेश, भगवान सूर्य, भगवान हनुमान और देवी पार्वती की मूर्तियाँ भी हैं। इस मन्दिर में निम्नलिखित अन्य धार्मिक संस्थाओं के भी महापुरुषों ने अपना योगदान दिया है - संत कबीर दास, संत रविदास, संत गोस्वामी तुलसीदास और संत शंकराचार्य।
मनकामेश्वर मन्दिर के प्रवेश द्वार पर एक बड़ा लिंग आपको स्वागत करता है। मंदिर के भीतर आप शिवलिंग की पूजा कर सकते हैं और भगवान शिव के रूप में पूजा कर सकते हैं। मनकामेश्वर मन्दिर का महत्व इस बात से भी बढ़ जाता है कि यह दक्षिण भारत में ज्योतिर्लिंग के रूप में भी माना जाता है। ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के अलग-अलग रूपों को दर्शाते हैं और भारत में कुल 12 ज्योतिर्लिंग हैं।
इसके अलावा, मनकामेश्वर मन्दिर और उसके आसपास कई परंपरागत वस्तुएं भी हैं जैसे कि लकड़ी के चबूतरे और प्राचीन गुमटियां। आप यहां उन पारंपरिक वस्तुओं को देख सकते हैं जो इस मंदिर के संबंध में उसकी विशेषता को बढ़ाती हैं। मनकामेश्वर मन्दिर का स्थान प्रयागराज के अलावा अन्य शहरों से भी संबंधित है। इस मन्दिर को प्राचीन काल से ही भारत की धार्मिक और आध्यात्मिक उत्सवों में एक महत्वपूर्ण स्थल माना जाता रहा है।