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प्रयागराज प्रभास गिरि ( Prayagraj Prabhas Giri)

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प्रयागराज, जो पूर्व में इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था, उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है। यह शहर भारतीय इतिहास और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण केंद्र है जिसमें कई प्राचीन मंदिर और स्थल हैं। इस शहर में स्थित प्रभास गिरि एक ऐसा प्राचीन स्थल है जो महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। 

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भगवान श्रीकृष्ण की कथा से जुड़े इस स्थान की गहराई अनंत है। इस शहर में स्थित प्रभास गिरि एक ऐसा प्राचीन स्थल है जो महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। भगवान श्रीकृष्ण की कथा से जुड़े इस स्थान की गहराई अनंत है। प्रभास गिरि का नाम उस गिरि पर आधारित है जहां से भगवान श्रीकृष्ण ने अपने जीवन का आखिरी समय बिताया था। यहीं पर उन्होंने अपने विश्वरूप का दर्शन किया था और अपने शिष्य अर्जुन को भगवद गीता का उपदेश दिया था। प्रभास गिरि के इतिहास में कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुई हैं। 

महाभारत काल में यहां अश्वत्थामा ने अपनी ब्रह्मास्त्र छोड़ दी थी जो फिर उस स्थान को सम्पूर्ण विनाश की ओर ले गई थी। इसके अलावा, प्रभास गिरि में लोकमान्य तिलक का भी आश्रय स्थान था।  भगवान श्रीकृष्ण के आखिरी समय की कथा के अनुसार, उन्होंने इस स्थान पर अपनी चरम भक्ति का अनुभव किया था। उनके पास अपने समस्त सामान्य विवेक विद्यमान था, और उन्होंने अपने समय के अंतिम दिनों में धर्म के उच्चतम रहस्यों को भी उद्घाटित किया था। 


भगवान श्रीकृष्ण ने अपने शिष्य अर्जुन को उन उच्चतम रहस्यों का उपदेश दिया था जो भगवद गीता के रूप में विख्यात हो गया है। इस उपदेश में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को मानवता के उच्चतम आदर्शों और धर्म की महत्ता के बारे में शिक्षा दी। इस उपदेश के माध्यम से वे समस्त मानव जाति को अपने सामने एक संगमरमर समान अवस्था पर रखने के लिए धर्म के महत्व को समझाने का प्रयास किया था। 

प्रभास गिरि का इतिहास और श्रीकृष्ण की कथा न केवल भारतीय इतिहास और संस्कृति के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि इससे आधुनिक दुनिया को भी धर्म और आध्यात्मिकता के उच्चतम संदेश का पता चलता है। प्रभास गिरि भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में प्रयागराज (अलाहाबाद) शहर से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्थान हिंदू धर्म के इतिहास में बहुत महत्त्वपूर्ण है। 


इस स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी अंतिम गति प्राप्त की थी। प्रभास गिरि के बारे में कुछ पुराने लेखों में बताया गया है कि यह स्थान महाभारत काल से बहुत पुराना है। इस स्थान पर संस्कृत में नाम "प्रभास गिरि" है जो अर्थात "प्रकाशमय पर्वत" होता है। 

इस स्थान के पर्यावरण में समुद्र और नदी के संगम का नजारा देखा जा सकता है। भगवान श्रीकृष्ण के जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग उनके विचार और संदेश हैं। उनके द्वारा दिए गए उपदेशों ने दुनिया को धर्म, आध्यात्मिकता, संतुलन और सभी जीवों के बीच समझौता की आवश्यकता के बारे में समझाया है। इसके अलावा, गंगा नदी भी प्रभास गिरि के निकट से बहती है। 


गंगा नदी के तट पर स्थित चित्रकूट घाट पर हिंदू धर्म के विविध संस्कार जैसे पुष्कर मेला, कुंभ मेला आदि मनाए जाते हैं। यहां आने वाले श्रद्धालुओं को गंगा नदी में स्नान करने का अवसर मिलता है जो उनकी पापों को धो देता है और उन्हें आध्यात्मिक ऊर्जा देता है। प्रभास गिरि महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल होने के साथ-साथ इस स्थान का ऐतिहासिक महत्व भी है। 

प्राचीन काल में यहां से होकर गुम्बज ने सिन्धु नदी के तट पर स्थान बनाया था। इस स्थान को सोमनाथ नाम दिया गया था। इसके बाद इस स्थान को फिर से बदलते हुए प्रभास गिरि नाम दिया गया था। इस मंदिर में शिवलिंग को अर्घ्य देने से श्रद्धालुओं को बुद्धि और संतुलन मिलता है। 

इस प्रकार, प्रभास गिरि एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है जो हिंदू धर्म के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। प्रभास गिरि से जुड़ी यह स्टोरी आपको कैसी लगी। कृप्या हमें कमेंट करके जरूर से बतायें। साथ-ही हमारी इस पोस्ट को अपने रिश्तेदारों और मित्रों के साथ भी अवश्य शेयर करें। 

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